निगाहे और तकदीर
निगाहें मेरी और इसमें तक़दीर तेरी रहती है,
सोचा नहीं बस इश्क़ किया तुझसे,
हम तो बेकार में,तुझे अब गैरों के साथ देखते हैं।
निगाहों की सिफ़ारिश समझा करिए जनाब,
हौले से दिल का पयाम सुनाती है।।
बड़ा छुपाती हो निगाहों को लोगों से।
क्या तेरी निगाहों में मेरी तस्वीर नज़र आती है।।
निगाहों की साजिशें पढ़ ना पाईयेगा,
जल्दी से थाम लीजिए मेरा हाथ
लोग अब मुझे ताने मारते हैं।।
तेरी निगाहों में तस्वीर मेरी रहती है,
संभाल के रखना ज़रा लोगों से
ये बातें बड़ा बेकार करते हैं,
दिलों के रिश्तों को ये सरेआम करते हैं।।