निगाहें बन्द कर लूँगा
1
निगाहों में तुम्हें भरकर निगाहें बन्द कर लूँगा।
तुम आओ तो मैं पर्वत बनके राहें बन्द कर लूंगा।
सुनो दिल से बुलाता हूँ मैं बाहें खोलकर तुमको,
चली आओ जो बाहों में तो बाहें बन्द कर लूँगा।।
2
तुम्हारे प्यार के बादल बरसना छोड़ सकते हैं।
तो प्यासे होंठ पानी को तरसना छोड़ सकते हैं।
मेरी किस्मत की उलझी डोर सुलझी प्यार में फँसकर,
कभी छूटे जो इससे हम सुलझना छोड़ सकते हैं।।
संजय नारायण