निकाल कर फ़ुरसत
निकाल कर फ़ुरसत
चलो साथ कहीं बैठते हैं ..
ले कर हाथो में हाथ,
रुको, कुछ पल
एक सिगरेट यादों की
सुलगाते हैं
एक कश लगाते हैं
सुलगते हैं साथ साथ,
दर्द अपने अपने धुएँ में
चलो हम उड़ाते हैं……!!!!
हिमांशु Kulshrestha
निकाल कर फ़ुरसत
चलो साथ कहीं बैठते हैं ..
ले कर हाथो में हाथ,
रुको, कुछ पल
एक सिगरेट यादों की
सुलगाते हैं
एक कश लगाते हैं
सुलगते हैं साथ साथ,
दर्द अपने अपने धुएँ में
चलो हम उड़ाते हैं……!!!!
हिमांशु Kulshrestha