निंदा और प्रशंसा
प्रशंसा की चाह
या निंदा की चिंता
किए बिना
बिल्कुल सहजता से
मैं अपने काम
किए जाता हूं।
सूरज इसलिए तो
नहीं उगता न
कि मूर्गे
उसे देखकर
बांग दें!
प्रशंसा की चाह
या निंदा की चिंता
किए बिना
बिल्कुल सहजता से
मैं अपने काम
किए जाता हूं।
सूरज इसलिए तो
नहीं उगता न
कि मूर्गे
उसे देखकर
बांग दें!