Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2024 · 1 min read

ना ही लम्हात कई याद दिलाने के लिए।

ना ही लम्हात कई याद दिलाने के लिए।
ना ही माज़ी की तरह हाथ मिलाने के लिए।।
बाद मुद्दत के किसी शख़्स ने टोका मुझको,
चाल बेढब है फ़क़त इतना बताने के लिए।।
😢प्रणय प्रभात😢

1 Like · 75 Views

You may also like these posts

बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
विकास
विकास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Spectacular Superman
Spectacular Superman
Chitra Bisht
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
Sonam Puneet Dubey
मासूम बच्चे बड़े हो जाते हैं...
मासूम बच्चे बड़े हो जाते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
लहरों पर होकर सवार!चलना नही स्वीकार!!
लहरों पर होकर सवार!चलना नही स्वीकार!!
Jaikrishan Uniyal
खेतवे में कटे दुपहरिया (चइता)
खेतवे में कटे दुपहरिया (चइता)
आकाश महेशपुरी
कुछ सवाल बेफिजुल होते हैं
कुछ सवाल बेफिजुल होते हैं
Kumari Rashmi
कला
कला
Kshma Urmila
लोन के लिए इतने फोन आते है
लोन के लिए इतने फोन आते है
Ranjeet kumar patre
मुहब्बत नहीं है आज
मुहब्बत नहीं है आज
Tariq Azeem Tanha
आखरी मुलाकात
आखरी मुलाकात
पूर्वार्थ
4129.💐 *पूर्णिका* 💐
4129.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
द्रौपदी ही अब हरेगी द्रौपदी के उर की पीड़ा
द्रौपदी ही अब हरेगी द्रौपदी के उर की पीड़ा
श्रीकृष्ण शुक्ल
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
Manisha Manjari
मुस्कान
मुस्कान
seema sharma
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
Taj Mohammad
रूठी नदी
रूठी नदी
Usha Gupta
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
रमेशराज की एक हज़ल
रमेशराज की एक हज़ल
कवि रमेशराज
ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं
ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
आज़ादी
आज़ादी
MUSKAAN YADAV
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पुनर्जन्म का नव संबंध
पुनर्जन्म का नव संबंध
Sudhir srivastava
किराये का घर
किराये का घर
Kaviraag
नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
RAMESH SHARMA
इस्लामिक देश को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी देश के विश्वविद्या
इस्लामिक देश को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी देश के विश्वविद्या
Rj Anand Prajapati
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
रुपेश कुमार
"हूक"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...