ना मैं निकला..ना मेरा वक्त कही..!!
मैं खुद को खुद में ढूंढता हूं..फिर खुद में ही खो जाता हूँ,
मेरे अंतर्मन के ख्यालों से खुद को ही बहलाता हूँ,
कोई देखे अगर मुझे एक नजर.. बिना बात के ही मुस्कुरा जाता हूँ,
वैसे तो अकेले रहने की आदत-सी हो गई है..
फिर भी कुछ लोग है जहां में जिनकी यादों को मैं अपने साथ लिए चलता हूँ,
याद नहीं पिछले दफा कब खुलकर मुस्कुराया था मैं..
एक शोर है पैमाने का जहां मैं खड़ा हुआ हूं..
सबको यही जानना है..क्या करते हो? कितना कमाते हो?
और कोई सवालों की उम्मीद मैं करता भी नहीं..
मेरे वक्त में निकले तब यार-दोस्त सब पहुंच चुके हैं कहीं ना कहीं.. मुझको अब तक यही लग रहा..
ना मैं निकला..ना मेरा वक्त कही..!!
❤️ Love Ravi ❤️