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7 May 2024 · 1 min read

ना तो कला को सम्मान ,

ना तो कला को सम्मान ,
ना व्यक्ति के प्रति आदर ।
अपने स्वजन ही समझते ,
कवियों को घर की मुर्गी दाल बराबर ।

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