* ना जाने क्या रिश्ता है *
ना जाने क्या रिश्ता है
ये दिल क्यों पिसता है
मेरी मैयत पे मत रोना
तेरा-मेरा क्या रिश्ता है
मधुप बैरागी
जिंदगी धुंवा है और क्या है
आदमी जीते जी
मोह में अंधा हो
अपनी आंखे फोड़ता है
और
मरने पर लोग
आग लगा देते हैं
और
धुंवा हवा और हम भी
हवा हो जाते हैं !!
मधुप बैरागी