Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2018 · 1 min read

* ना जाने क्या रिश्ता है *

ना जाने क्या रिश्ता है
ये दिल क्यों पिसता है
मेरी मैयत पे मत रोना
तेरा-मेरा क्या रिश्ता है

मधुप बैरागी

जिंदगी धुंवा है और क्या है
आदमी जीते जी
मोह में अंधा हो
अपनी आंखे फोड़ता है
और
मरने पर लोग
आग लगा देते हैं
और
धुंवा हवा और हम भी
हवा हो जाते हैं !!

मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 393 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
थोड़ा सच बोलके देखो,हाँ, ज़रा सच बोलके देखो,
थोड़ा सच बोलके देखो,हाँ, ज़रा सच बोलके देखो,
पूर्वार्थ
सुरसा-सी नित बढ़ रही, लालच-वृत्ति दुरंत।
सुरसा-सी नित बढ़ रही, लालच-वृत्ति दुरंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जो मिला ही नहीं
जो मिला ही नहीं
Dr. Rajeev Jain
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पतझड़
पतझड़
ओसमणी साहू 'ओश'
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रक्तदान पर कुंडलिया
रक्तदान पर कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
पौधे मांगे थे गुलों के
पौधे मांगे थे गुलों के
Umender kumar
*
*"मजदूर"*
Shashi kala vyas
"दुनिया को पहचानो"
Dr. Kishan tandon kranti
नए पुराने रूटीन के याचक
नए पुराने रूटीन के याचक
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
चांद पर पहुंचे बधाई, ये बताओ तो।
चांद पर पहुंचे बधाई, ये बताओ तो।
सत्य कुमार प्रेमी
*नारी कब पीछे रही, नर से लेती होड़ (कुंडलिया)*
*नारी कब पीछे रही, नर से लेती होड़ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Pratibha Pandey
ज़िंदगी को इस तरह
ज़िंदगी को इस तरह
Dr fauzia Naseem shad
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
◆आज की बात◆
◆आज की बात◆
*प्रणय प्रभात*
शब्दों की रखवाली है
शब्दों की रखवाली है
Suryakant Dwivedi
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।
Manoj Mahato
दोहा मुक्तक
दोहा मुक्तक
sushil sarna
कमल खिल चुका है ,
कमल खिल चुका है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी हर कविता में सिर्फ तुम्हरा ही जिक्र है,
मेरी हर कविता में सिर्फ तुम्हरा ही जिक्र है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
Meenakshi Masoom
पिता' शब्द है जीवन दर्शन,माँ जीवन का सार,
पिता' शब्द है जीवन दर्शन,माँ जीवन का सार,
Rituraj shivem verma
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
मुझ को इतना बता दे,
मुझ को इतना बता दे,
Shutisha Rajput
Loading...