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2 Jun 2023 · 1 min read

वक्त….

आज फिर
समय मेरे
कान मे
फुसफुसाया
सुनो !
ध्यान रखना
बादल मुश्किलों का
बरसने वाला है
कहीं आ ना जाये
सैलाब
मुस्कुराई मैं
वक्त को अपनी ओर
मुखातिब कर बोली
कोई बात नहीं
रेगिस्तान हूँ मैं
कोशिश करने दे
उस जलधर को भी
मैं उसको अपने
आगोश में
समा लूंगी और
मुझमे हरे भरे
पौधो की कोंपलें
फूट जायेगी
कुछ पौधे
तेरे साथ चलते
बन जायेंगे
शाखी
एक दिन
समय मुस्कुरा दिया
मेरी पीठ थपथपाकर

संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)

349 Views
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