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28 Nov 2017 · 1 min read

नाहक ही बेकार

ज्ञानी का लागे वृथा,…..लिया हुआ सब ज्ञान !
दिया नही यदि और को,उसमे से कुछ दान !!

कह पाऊँ वो ही नही, …..कहनी है जो बात !
फिर तो करना व्यर्थ है,जग जाहिर जज्बात ! !

नहीं दिया जब तृषित को, पानी एक गिलास !
व्यर्थ और पाखण्ड तब,.लगता है उपवास !!

हुआ नहीं लोहा गरम , रहे हथौड़ा मार !
लाजिम है यूँ वार का, हो जाना बेकार !!

विगत कभी आता कहाँ , चला गया इक बार !
समय किया जो आपने… .नाहक ही बेकार !!
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 453 Views
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