नासमझ है इंसान,
मन्नत के धागे बांधता है ,
??मुरादों की अर्जी डालता है ।
बड़ा ही नासमझ है इंसान,
??अपनी करनी को भी खुदा की मर्ज़ी मानता है।
मन्नत के धागे बांधता है ,
??मुरादों की अर्जी डालता है ।
बड़ा ही नासमझ है इंसान,
??अपनी करनी को भी खुदा की मर्ज़ी मानता है।