नाश्ता
नाश्ता
अरे बहू, कहाँ हो? दस बज गए, अभी तक नाश्ता नहीं बना।
बन रहा है माँ जी, बस अभी ला रही हूँ।
क्या बनाया है? जल्दी लाओ।मुझे दवा भी खानी होती है, तुम जानती हो। मेरे लिए दो पराठे बना दो।
जी ,माँ जी! अभी लाती हूँ,बस दो मिनट रुकिए।
इसी बीच बेटी का फोन आता है और माँ जी बेटी से फोन पर बात करने लगती हैं ।
कैसी हो बेटी, क्या कर रही हो?
बेटी ने कहा,ठीक हूँ मम्मी । घर वालों के लिए नाश्ता बना रही हूँ।
अरे बेटी, क्या रोज़-रोज़ नाश्ता बनाती हो। ब्रेड मँगा लिया करो और वही सेंक कर दो -दो स्लाइस दे दिया करो। ये सुबह-सुबह पकौड़े और पराठे बनाने का झंझट मत किया करो।
बहू नाश्ते की प्लेट में दो पराठे और भिण्डी की सब्ज़ी लिए खड़ी उनकी बातें सुन रही थी और सोच रही थी अपनी बेटी अपनी ही होती है।बहू को तो लोग बस दिखावे के लिए बेटी बोलते हैं।
डाॅ बिपिन पाण्डेय