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30 Apr 2020 · 1 min read

{{{ नाशाद तबियत }}}

हमको इन तन्हाइयों से अब मोहब्बत हो गई ,
जाने क्यों सारे ज़माने से शिकायत हो गई ,,

कुछ मुकद्दर में कमी , कुछ गर्दिशे – हालात थे ,
आपकी रहमत में भी थोड़ी किफायत हो गई ,,

अब कहाँ हैं ताब ,जो सह पाए ज़माने के सितम ,
ग़म की कुछ ज्यादा ही अब हम पर इनायत हो गई ,,

मुख्तसर सी बात कह के आप तो चुप हो गए ,
आपके इल्ज़ाम से कैसी कयामत हो गई,,

साथ अपने ले गए उम्मीद ,हसरत , आरज़ू ,
याद जो बाकी रही ,हमको नियामत हो गई ,,

हम दवा करते रहे और दर्द दिल बढ़ता गया ,
ज़ख्म कुछ ऐसे थे कि नाशाद तबियत हो गई ,,

क्या खूब हमको प्यार का हासिल मिला ,
गैर तो थे गैर अपनो से भी अदावत हो गई ,,

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 585 Views
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