नाव बचपन की…….!
आओ ना फिर एक नाव बनाते है
भले ही नहीं पार करे वो इंसानों को
लेकिन आशाओं का एक कस्ती सजाते है,
आओ ना फिर एक नाव बनाते हैं।।
रंग बिरंगी कागज से हम अपना सपना दिखाते है,
भले ही नहीं पार करे वो इंसानों को,
लेकिन आशाओं की एक कस्ती सजाते है।।।।2………………
……….एक नाव बनाते है………..