Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2024 · 1 min read

नालन्दा

आखिर वह दिन आ ही गया
जिसकी
आठ सौ से अधिक वर्षों से थी प्रतीक्षा
वह समय आ गया
जब पूर्ण होगी अधूरी दीक्षा
सोचा था उन्होंने
कि विश्वविद्यालय की इमारत को तोड़ देने
और पुस्तकों को जला देने से
नष्ट हो जाएगी हमारी संस्कृति
बदल जाएगी हमारी पीढ़ियों की प्रकृति
लेकिन, नहीं पता था उन्हें
कि पाण्डुलिपियों की राख सदियों तक
अन्दर ही अन्दर रचती रहेगी नए श्लोक
इमारत के टूटे पत्थर चुपचाप गढ़ते रहेंगे
एक नई भव्य इमारत की नींव
नालन्दा के ध्वंसावशेष
हर दिन हर पल
चीख-चीख कर कह रहे थे
जले पुस्तकालय में ग्रन्थों की राख
खाद बनकर देती रहेगी पोषण
कत्ल किए गए अनगिनत आचार्यों की रक्त-धारा
सिंचित-पुष्पित-पल्लवित करती रहेगी ज्ञान-तरु को
आतताइयों द्वारा इमारतें
तोड़ी जा सकती हैं
पुस्तकें जलाई जा सकती हैं
लेकिन याद रहे
आठ सौ वर्षों के बाद भी
फिर उठ खड़ा होगा कोई आचार्य शीलभद्र
जो
उन ग्रन्थों और पाण्डुलिपियों की राख से
ढूँढ़ निकालेगा
शोध के नये आयाम
पुनः प्रकाशित करेगा सम्पूर्ण विश्व को
ज्ञान के ‘असीम’ आलोक से
और
देगा दुनिया को पैगाम
कि
ज्ञान अमर है
खिलजियों के जलाने से
सिद्धान्त और विचार नहीं जला करते
आचार्यों को कत्ल कर देने से
नालन्दा नहीं मरा करते।
✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
1 Like · 96 Views

You may also like these posts

ना कुछ जवाब देती हो,
ना कुछ जवाब देती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
सपना
सपना
Chaahat
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती “
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती “
Indu Nandal
जो  लिखा  है  वही  मिलेगा  हमें ,
जो लिखा है वही मिलेगा हमें ,
Dr fauzia Naseem shad
आँखों का कोना,
आँखों का कोना,
goutam shaw
जीवन का कोई सार न हो
जीवन का कोई सार न हो
Shweta Soni
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
Ranjeet kumar patre
गठबंधन
गठबंधन
Karuna Bhalla
Movers and Packers in Bhiwani
Movers and Packers in Bhiwani
Hariompackersandmovers
इतना कहते हुए कर डाली हद अदाओं की।
इतना कहते हुए कर डाली हद अदाओं की।
*प्रणय*
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
गुमनाम 'बाबा'
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
संवेदनशीलता का रोमांच
संवेदनशीलता का रोमांच
Nitin Kulkarni
4754.*पूर्णिका*
4754.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमको इतनी आस बहुत है
हमको इतनी आस बहुत है
Dr. Alpana Suhasini
एक दिवाली ऐसी भी।
एक दिवाली ऐसी भी।
Manisha Manjari
बड़े भाग मानुष तन पावा
बड़े भाग मानुष तन पावा
आकांक्षा राय
यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
Sonam Puneet Dubey
'आलम-ए-वजूद
'आलम-ए-वजूद
Shyam Sundar Subramanian
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
Taj Mohammad
सलाम
सलाम
अरशद रसूल बदायूंनी
कौन...? इक अनउत्तरित प्रश्न
कौन...? इक अनउत्तरित प्रश्न
पं अंजू पांडेय अश्रु
"मुसाफिरखाना"
Dr. Kishan tandon kranti
गठबंधन की अंतिम शर्त
गठबंधन की अंतिम शर्त
Sudhir srivastava
अगर हो तुम सजग
अगर हो तुम सजग
Bimal Rajak
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
Mahender Singh
मुख  से  निकली पहली भाषा हिन्दी है।
मुख से निकली पहली भाषा हिन्दी है।
सत्य कुमार प्रेमी
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
Shashi kala vyas
Loading...