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3 Sep 2022 · 1 min read

नार परायी नई सी लगे

नार परायी नई क्यों लगती है
उसकी आफजायी नई क्यों लगती है
यहाँ तो हर चेहरे पर मीठी सी नजाकत है
अपनी फीकी , ग़ैर की मीठाई रसमयी क्यों लगती है
हर चेहरा शोख गज़ल समेटे है
अपनी बेअसर, ग़ैर की रूबाई नई क्यों लगती है ।

राजीव कुमार

Language: Hindi
279 Views
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