नार परायी नई सी लगे
नार परायी नई क्यों लगती है
उसकी आफजायी नई क्यों लगती है
यहाँ तो हर चेहरे पर मीठी सी नजाकत है
अपनी फीकी , ग़ैर की मीठाई रसमयी क्यों लगती है
हर चेहरा शोख गज़ल समेटे है
अपनी बेअसर, ग़ैर की रूबाई नई क्यों लगती है ।
राजीव कुमार
नार परायी नई क्यों लगती है
उसकी आफजायी नई क्यों लगती है
यहाँ तो हर चेहरे पर मीठी सी नजाकत है
अपनी फीकी , ग़ैर की मीठाई रसमयी क्यों लगती है
हर चेहरा शोख गज़ल समेटे है
अपनी बेअसर, ग़ैर की रूबाई नई क्यों लगती है ।
राजीव कुमार