नारी
भरती निज मुस्कान से ,घर आँगन में प्यार ।
प्रथम पूज्य नारी सदा , रचती नव संसार।।01
पंख नुची चिड़िया कहे ,कैसा हुआ समाज।
कदम कदम पर भेड़िये , नीड़ नीड़ पर बाज।।02
आज तलक वंचित रही , मिले न निज अधिकार ।
कर्तव्यों के बोझ संग , दासी सा व्यवहार ।।03
घर से निकलें जब कभी , लें माँ का आशीष ।
माँ के ही आशीष से , सदा रीझते ईश।। 04
पनघट पर गोरी खड़ी , कर सोलह श्रंगार ।
हौले हौले खींचती , निर्मल जल की धार ।।05
सतीश पाण्डे