नारी
नारी की जो गोद है, ममता का ही रूप।
माँ की ममता के लिए, महिला का प्रारूप।
महिला का प्रारूप, ऋचा की अद्भुत रचना।
शोभित मोहित भाव , मातु अद्भुत संरचना।
कहें प्रेम कविराय, नार ममता की मारी।
रखें सदा यह भाव, रहे रक्षित अब नारी।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम