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8 Mar 2017 · 1 min read

नारी

नारी के इस दर्द को , कौन सका पहचान
जननी होकर सृष्टि की, मिला नहीं वो मान
मिला नहीं वो मान , बँटी केवल रिश्तों में
रही चुकाती क़र्ज़ ,प्यार देकर किश्तों में
मगर अर्चना आज, रीत बदली हैं सारी
लिए नया अब रूप, खड़ी है देखो नारी

डॉ अर्चना गुप्ता

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