“नारी”
समर्पण का गहना
ममत्व से भरा सँसार,
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क़ायनात की खूबसूरत रचना
आँचल में प्यार ही प्यार,
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झील सी कोमल, शांत, गहरी
आँगन में तुम्हीं से बहार,
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निर्मल,परम् पावन गंगा सी
वैभव है तेरा संसार,
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“दीप” जलाती ख़ुशियों के
अदभूत,अजब अवतार
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कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”
हिसार ( हरियाणा )