नारी
आन मान और मर्यादा,सिर्फ तुमपर ही लादा जाता,
मछली को तैरना कौन सिखाता,कौन पंक्षी को उड़ना,
कुंठित,व्यथित मन की ये बाते,पुरुष समाज के काल कलंक दर्शाते,
खुद का जरा इतिहास खंगाले,सती सावित्री को भी पहचाने,
आन माना की ये कुंठित बाते रही नारी के चरणों की धूल l
प्रभात !!