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17 Nov 2018 · 1 min read

नारी

::;::::::::;::::;:कुछ दोहे :::::::::::::::::
::;:::::%::::शीर्षक – नारी::::%:::::::::

नारी खुली किताब है , धारे कितने रंग
जीवन जीने के सदा , रखती लाखों ढंग

नारी के ही सुत हुए , श्री कृष्ण और राम
दुष्टों का मर्दन किया, अमर कर गये नाम

अबला नारी मत समझ, सबला अपनी मात
दुनियाँ में लाने तुझे , खाई तेरी लात

नारी , नारी जग करे, बिन नारी सब खार
माँ वनिता औ बहन बन, बांटे जग को प्यार
…………………………………………..

खेल रहे हैं खेल सब, कितने उल्टे दाँव
गले मिलाते प्यार से,घायल करते पाँव

बुरा कोई न मानियो , खूब उड़ाऊँ रँग
जमकर होली खेल संग, गले उतारू भंग

मात-पिता का ही सुनो, सदा रखो तुम मान
दुनियादारी त्यागकर , धरो प्रभु का ध्यान

धरो प्रभु का ध्यान तुम, करने जग कल्याण
अमर नाम हो जाएगा , देकर अपने प्राण

बीती बात बिसार कर , मत सोचो अपघात
क्या रखा इस बैर में, कर लो दिल की बात

❤दीन, हीन को देखकर , पूछो मन की बात
मंदिर-मस्जिद से बड़ा ,मिले पेट भर भात

??????आपका योगेन्द्र योगी

Language: Hindi
489 Views
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