नारी
पल पल बदले चेहरे,
फिर भी न वो ठहरे,
कदम मिलाकर चलती,
मुड़कर न कभी देखती,
वो है सबकी प्यारी,
कहते उसको नारी,
पढ़ा कही है वो नर्क का द्वार,
हम तो कहते है वो रिश्तों का आधार,
उनके बिना सूना संसार ,
वो है जीवन का सार,
उन्नति पथ की सहगामी,
संग उसके खुशयों की चाबी,
हर रिश्ते को खूब निभाती,
वो सबके दिल को भाती,
प्यार और ममता की मूरत,
स्नेह भरी उसकी सूरत,
शक्ति का है वो रूप,
लक्ष्मी का है स्वरूप,
नर करता नमन नारी को,
न्योछावर करता हर यारी को,