नारी
नारी ,
तुम जगजननी
प्रेममाधुरी
उन्मुक्त उर्मिला
चंचला
जीवन की ज्योति हो …।
तुम शक्तिस्वरूपा
सौदामिनी
सबला
तेजोमय
अनमोल मोती हो …।
तुम पुरुष की हृदयस्वामिनी
त्याग की प्रतिमूर्ति
विधि की श्रेष्ठ रचना …
गुणवंती होकर भी
क्यों भाग्य पर रोती हो …?
(मोहिनी तिवारी)