नारी ही नारी की वैरी
नारी ही नारी की बैरी
अपने मायके आई सविता घर के मुख्य द्वार पर बैठी थी। अपने बच्चों के लाड लड़ा रही थी।
तभी उसकी सहेली आशा आई। राजी-खुशी पूछने के उपरांत आशा सविता से बोली, “सविता दोनों बच्चे लड़के हैं या लड़का-लड़की।”
सविता बोली, “दोनों लड़के हैं।”
आशा बोली,”सविता तू तो निहाल हो गई। अब नसबंदी करवा ले। मेरी भाभी को देख जो छह लड़कियों को जन्म दे चुकी है। अभी तक लड़का नहीं हुआ।”
आशा की बातों से नारी ही नारी की बैरी सत्यापित हो रही थी।
-विनोद सिल्ला