नारी स्वतंत्रता के सच्चे पक्षधर
जब तुम कहो मुझे ,
तू जितना जी चाहे बोल ,
बेखौफ बोल ,
लबों पर लगे खामोशी के ताले खोल ,
अब लब तेरे आजाद हैं।
सत्य और न्याय की बात पर ,
ज्ञान ,ध्यान की बात पर ,
किसी भी समसामयिक विषयों पर ,
जी भर के बोल ।
जब तुम कहो मुझे ,
जितना चाहे उड़ ,
नई ऊंचाइयों को छू ।
मैं पंख देता हूं तुझे ।
जहां तेरा जाने का तेरा दिल चाहे ,
जो भी ऐच्छिक और रुचिकर कार्य तू करना चाहे ,
जी भर के कर ।
अपनी मनचाही मंजिल की और उड़ान भर ।
मैं साया बनके साथ हूं तेरे ।
और जब तुम मुझसे कहो ,
तुझे अपनी पहचान बनानी है ,
मेरे नाम से भी ऊंचा नाम हो तेरा,
कसम से मुझे ईर्ष्या नही होगी ,
बल्कि नाज़ होगा ।
तुझे आगे बढ़ने के लिए ,
मेरे नाम के सहारे की जरूरत नहीं है ।
तू अपने नाम की खास पहचान बना ।
यही तेरा लक्ष्य होना चाहिए ।
अब छोड़ भी दे यह घर की चार दिवारी ,
छोड़ दे चूल्हा चौका,
यह तेरा सिर्फ दैनिक कार्य है ,
तेरी मंजिल नहीं ।
तू अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो ।
यही मेरी अभिलाषा है ।
तेरी महत्वकांक्षा ,
तेरे सपने ,
अत्यंत महत्वपूर्ण है मेरे लिए ।
सच तो यह है की तेरे जीवन की हर खुशी ,
महत्वपूर्ण है मेरे लिए ।
तू वास्तव में महत्वपूर्ण है मेरे लिए ।
हां !.जब तुम मुझसे यह सब कहो ,
और पूरी ईमानदारी से कहो ।
तुम्हारी करनी और कथनी में लेशमात्र भी,
अंतर न हो तब !
हां ! तब मैं मानूंगी तुम नारी स्वतंत्रता के ,
सच्चे पक्षधर हो ।
नारी के प्रति स्नेह और सम्मान की भावना ,
तुम्हारे हृदय में है ।
अन्यथा बातें तो बस बातें है ,बातों का क्या !
ऐसी लुभावनी बातें तो पुरुष सदियों से,
नारी को कहता आया।
मगर उसके जीवन में अब तक कुछ न बदला।
बदल सकता है यदि तुम नारी स्वतंत्रता के ,
सच्चे पक्षधर बन जाओ ।