नारी सा बलिदानी जग में कहीं नहीं
नारी सा बलिदानी जग में कहीं नहीं
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नारी सा बलिदानी जग में कहीं नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नहीं
कोरोना उन्मूलन अभियान में सजग हैं
समर्पण ,कर्तव्यनिष्ठा से भरी रग रग है
सहनशीलता मिशाल जग में कहीं नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नही
डॉक्टर या नर्स हो या हो सफाईकर्मी
कोरोना की छिड़ी जंग में नहीं है नर्मी
कर्तव्य निर्वाहन में कमी रहे कहीं नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नहीं
कुटीर-कुटुंब भी कर दिए खुदा हवाले
जिगर के टुकड़े कर दिए खुदा हवाले
दिन रात काम करती रुकती कहीं नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कोई नही
भरी छाती हल्की कर होती हैं संयमित
शिशु, दूध पिला ना पाती रहती कुंठित
वृत्तिक धर्म निर्वाहक मूर्ति है कहीं नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नही
गोली सेवन से मासिक चक्र रहे बढ़ाती
पद प्रतिष्ठा खातिर सेहत से खेल जाती
केश कुर्बान करती जंग लड़ती है खड़ी
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नहीं
किस मिट्टी से बनी ,उन सा नही सानी
पथ में अथक अग्रसी बनकर मस्तानी
तन मनसेवारत है,दो पल आराम नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नहीं
कोरोना निदान में जुटी चिंता ना फिक्र
हरा भरा परिवार है,पीछे का भी फिक
निज जीवन खतरे में पर घबराती नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नहीं
दो शब्द प्रशंसा से आओ कर दें स्तूति
संकट घड़ी में दे रहीं हैं प्रभावी प्रस्तुति
सुखविंद्र की नजर में तुझसा कोई नहीं
नारी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नही
नारी सा बलिदानी जग में कहीं नहीं
निरी सा स्वाभिमानी जग में कहीं नहीं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)