नारी सशक्तिकरण
नारी की नियति अस्मिता पर, जब प्रश्न उठा तुम मौन हुए।
जीवन भर बंदिश में रहना, तुम कहने वाले कौन हुए।
सदा प्रताड़ित होती नारी, क्या उसका सम्मान नहीं है।
द्रुपद सुता का चीर हरण क्या, नारी का अपमान नहीं है
समय-समय पर जग ने केवल, नारी को संत्रास दिए हैं।
बलत्कार,उत्पीड़न,हत्या , जैसे नित परिणाम दिए हैं।
क्यों शर्म नहीं तुमको आती, अबला पर हाथ उठाते हो।
क्या दोष नारियों का है जो, तुम गाली तक ले आते हो।
जग ने उपहास किया केवल, है नारी के अपमानों का।
मगर कथानक भूल गए सब , नारी के बलिदानों का।
भूल गए इतिहास पृष्ठ पर, स्वर्णिम लिखी कहानी को।
तुम भूल गए हो पन्ना,लक्ष्मी, और पद्मिनी रानी को।
कर याद कल्पना बेटी को, किंचित न कभी भयभीत हुई।
कर सफर अंतरिक्ष का पूरा, अंततः उसी की जीत हुई।
कर गयीं विश्व में नाम अमर, ऐसी हैं भारत की नारी।
तुम इन्हे प्रताड़ित करते हो, तुम कायर हो अत्याचारी।
कुछ बंधन में हूँ बँधी हुई, मत समझो तुम कमजोर मुझे।
मैं आदिशक्ति मां काली हूँ, समझो ना कच्ची डोर मुझे।
अभिनव मिश्र अदम्य