नारी शक्ति
जलता दीपक देता प्रकाश,
और ख़ुशी सभी को होती है।
पर दीपक की लौ के नीचे,
बाती जलती होती है ।।
शिशु जन्म और पालन पोषण,
माँ की ज़िम्मेदारी है।
शिशु ज़ीवन गढ़ने में माँ की,
अहम् भूमिका होती है।।
माँ होती है अन्नपूर्णा,
सरस्वती और दुर्गा भी।
रौद्ररूप जब धारण करती ,
महाकाली बन जाती है।।
वीर शिवा की विजय के पीछे,
माँ ज़ीज़ाबाई की शिक्षाएं थीं।
वक्त पड़ा तो समर भूमि में,
लक्ष्मी,दुर्गा बन जाती है।।
जौहर व्रत की परम्परा थी,
अब दुश्मन को मार गिराती है।
धरती क्या अब अंतरिक्ष में,
अपना परचम फहराती है।।
सती अनुसुइया,सुलोचना की,
महिमा तो ज़ग ज़ाहिर है।
सत्यवान को यम के चंगुल से,
सावित्री ही छुड़ाकर लाती हैं।।
ज़ीवन के हर क्षेत्र में सदा से,
नारी का योगदान रहा।
जैसी ज़ब भी पड़ी ज़रूरत,
सारे धर्म निभाती है।।
पर विडम्बना आज़ भी वही,
नारी ,नारी का शोषण करती।
सास ,बहू के झगड़ों से दुनिया,
शर्मसार हो जाती हैं।।
शक्ति अलौलिक है नारी में,
सृजनशील , कर्मशील बनें।
विशिष्ट सफलता या असफलता में,
हरदम नारी होती है।।