नारी शक्ति
नारी शक्ति पर कविता
कोमल है कमजोर नही नारी
मौत सदा नारी से हारी ।
शक्ति का अपार नाम ही नारी
जग को जीवन देने वाली ,,
सँघर्ष ,हिम्मत से नही डरने वाली ।
तू अबला नही, जग की शिक्षा है ,
तू सबला है ,दुनिया की दीक्षा है ।।
तुझे जलाया कभी सतियो व दहेज के नाम से ,,
सहना पड़ा कभी जौहर के नाम से ,,
देना पड़ी कभी सीता जैसी अग्नि परीक्षा के नाम से ,।।
तू कोमल है , कमजोर नही नारी है ,,
शक्ति का नाम ही नारी है।।
तू अधिकारों की भी अधिकारी ,,
तराजू पलड़े में समान अधिकारी ।।।
।
आंधी तूफान से नही घबराती ,
लकड़ी लेने रोज जंगल में जाती ,।।
चाहे पगड़न्ड़ी हो ,चाहे मरुस्थली ,
पानी लेने कुँए पर रोज जार्ती ।
कोमल है कमजोर नही नारी
संधर्ष का नाम ही रूपा नारी ।
बदन ,पाँव भी कभी नही थकते ,
जो उसके भूखे बच्चो का पेट भरते ।
नारी है जग की विशेष आधार
, क्यों चढ़ गई हाशिये पर हवश की धार ।
कोमल है ,कमजोर नही नारी है
उसे अब इतिहास बदलना है ,
नारी को कोई नही समझे अब
वो अबला नही , बेचाऱी है ।
✍✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट
टी एल एम् ग्रुप संचालक
दिनांक 16/04/2018
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