नारी शक्ति सर्व शक्ति
हे नारी तू सर्व शक्ति है ,तुझपे टिका इस धरा का बोझ ।
क्या क्या तू सहती आई ,फिर खड़ी सहने को बिन संकोच ।
बीबी बेटी बहन पड़ोसन बहु तू रूप बनकर आई ,
मृदुल हृदय स्वच्छ चंदन पग कठोर राह चलकर दिखलाई ।
एक घर छोड़ा दूसरा जोड़ा सामंजस से तेरा नाता ।
नारी तू है एक मगर रूप अनेक तेरा जग पाता ।
हर पहलू पर हर घूंघट पर मिला तुझे विष का प्याला ।
भेदभाव के अग्निकुंड में जली सिर्फ तेरी ज्वाला ।
भ्रूण अवस्था बची अगर तब जन्म समय संकट आया ।
पढ़ने लायक हुई सयानी ,फिर भी तुझे घर पर बिठलाया
तेरी जवानी के अंकुश में राक्षसों ने डेरा डाला ।
आदिकाल में जिनकी पूजा कलयुग में दहेज की सोच ।
हे नारी तू सर्वशक्ति है ,तुझपे टिका इस धरा का बोझ ।
क्या क्या तू सहती आई ,फिर खड़ी सहने को बिन संकोच ।
– जय श्री सैनी ‘सायक’