नारी- शक्ति आह्वान
उठो ! बढ़ो ! अब अति हो गई !
अबला निरूपित नारी !
तोड़ दो ! दंभ इन दानवों का दिखा दो !
अपनी शक्ति सारी !
हो स्वतंत्र ! बनो आत्मनिर्भर तुम ,
स्वयं भविष्य निर्माता !
भंग करो ! इस जगत भ्रम को ,
पुरुष है नारी भाग्यविधाता !
रूढ़ीवादिता , अंधविश्वास , परंपरा के बंधन से
मुक्त करो स्वंय को !
ज्ञान , तर्क , प्रज्ञाशक्ति आधारित आकलन कर
सशक्त करो स्वयं को !
जगत जननी , तुम आधार हो प्राणीमात्र का
इस संसार में !
आधारित है तुम पर निर्वाह हर जीवन का
इस संसार में !
कर प्रशस्त उन्नति पथ ,
नव निर्माण आयाम रचो तुम !
कर सार्थक यह जीवन ,
प्रगति मिसाल बनो तुम !