नारी रूप
नारी तेरे कई रूप अवतार हुए हैं
हर रूप की महीमा अपरम्पार हुई हैं
प्रत्येक रूप तेरा बड़ा महान है
नारी गुणों की अदभुत खान है
सद् भाव सद्गुण विराजमान हैं
सहज,सरस व सरल स्वभाव है
मृदु भाषी है और वाणी में मिठास
किसी प्रति नहीं कड़वाहट खटास
चहुंओर फैलाती है प्रेमभरी मिठास
सादर मनभावन रसीला व्यवहार है
नारी दुर्गा,नारी लक्ष्मी,नारी सरस्वती
हर माता रूप मे है अवतार लिया
बन लक्ष्मीबाई, तारा,सुचेता,सहगल
स्वतंत्रता संग्राम महान सैनानी हैं
देवकी माता हो या हो यशोदा मैया
हर माता रूप सत्कार साकार किया
होलिका दहन में होलिका देह त्यागी
बहन की कर्तव्यनिष्ठ फर्ज निभाया हैं
माँ,बेटी,बहन,पत्नी और सखा सहेली
सास,बहू,बुआ,ननद,जेठानी ,देवरानी
चाची,ताई ,मौसी और.भाभी भरजाई
रिश्ते नातो में जिम्मेदारी खूब निभाई है
त्याग और बलिदान की प्रतीक हैं नारी
सहनशील ,कर्तव्य की मिशाल है नारी
चुपचाप सब सहती,घुट घुट के है मरती
ईच्छा को हरती नारी महान बन जाती है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत