नारी दर्द
कुछ शर्म करो,कुछ शर्म करो,
मुझे अपना हक मिलने दो,
जिसने यह संसार बसाया,
उसे भी शर्म आता होगा,
देख तुम्हें मानव बनकर।
जिसने तुम्हें जन्म दिया,
उसी से तुमने इकरार किया,
फंस गया तुम कलयुग में,
मुक्ति तुम्हें कभी ना मिलेगी,
कुछ शर्म करो अपने पर,
मुझे बदनाम करने से पहले।
दुनिया से है मोह तुम्हें,
फिर ना कर बदनाम मुझे,
मैं हि तुम्हारी इज्जत हूं,
मेरे तुम कुछ भी नहीं,
कुछ शर्म करो अपने मानवता पर,
मुझे जीने दो मां बहन बनकर।