नारी तेरे रूप अनेक
महिला दिवस 8/3/19
नारी
नारी तेरे रूप अनेक
कभी माँ तो
कभी होती बेटी , बहन
करती पूरे हर रूप में
अपने कर्तव्य अनेक
हरीभरी धरा सा है
तेरा रूप अनेक
बच्चों संग
बच्चे बन जाती
माँ बन शिक्षा देती
पत्नी हो के
परिवार संजोती
ईश्वर की अनोखी
रचना है नारी
सहनशीलता, त्याग की
मूरत है नारी
खुद भूखी
रह जाती है
परिवार को
सुखी रखती है
हर जगह फैहरा रही
सफलता के
परचम नारी
आसमां को
छू रही तू नारी
देश के विकास में
सहायक बन
रही नारी
तूझे सत सत
नमन है नारी
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल