नारी तेरी यही अधूरी कहानी
आज अपनी आंखों के सामने ऐसा किस्सा देखा मैंने
जो था किसी के कलेजे का टुकड़ा वो हिस्सा देखा मैंने
उसको देखकर रूह पूरी तरह कांप गई
उसकी छाया तो मेरे जीवन के चलचित्र को भांप गई
काश जीते जी कोई हाल पूछ ले , तो मरने तक की बात आती नहीं
जीना चाहते हैं सब सुकून से लेकिन खुशी किसी की रास आती नहीं
बेसुध थी वो और लाश बन चुकी थी वो
किसी की कहानी का हिस्सा बनने आई थी और आस बन गई वो
ना जाने क्यों कोई किसी के मन की बात को समझ नहीं पाता है
ना जाने क्यों वो किया हुआ वचन निभा नहीं पाता है
किसी की बेटी, किसी की बहन थी वो
आज कोने में लाश बनकर पड़ी थी वो
वो मंजर ऐसा था कि उसके साथ आए लोग उस पल भी उसकी कमी बता रहे थे
या यूं कहें कि उसके मरने का इल्ज़ाम भी उस पर ही लगा रहे थे
मगर बेचारी जिस विश्वास पर आई थी किसी के साथ वो साथ उसने छोड़ दिया
नहीं सहन कर पाई वो तभी तो सजा का रुख सिर्फ अपनी तरफ मोड़ दिया
जिसको लगता है जीवन आसान है उसको डरा गई वो
आज अपनी जिंदगी को हमेशा के लिए हरा गई वो ।
आज इंसानियत को एक बार फिर मरते देखा
इस दर्द भरे माहौल में उन लोगों को हंसते देखा
किसी की मौत पर दुःख नहीं उस लड़की पर इल्जाम लगाए जा रहे थे
अपने आपको बचाने के अनचाहे पैंतरे आजमाए जा रहे थे।