नारी तेरा जीवन नहीं है ,आंसा
नारी तेरा जीवन नहीं है, आंसा।।
उठाले तू अब तलवार।
नहीं जी सकती बनकर सीता और राधा, उठाले तू अब तलवार।
है इस समाज में दुर्योधन और दुशासन।।
जो हर पल खींचते हैं तेरा दामन।
नहीं है, कृष्ण जो बचाए तेरा मान।
अब खुद ही उठा ले तू तलवार।।
राम जैसे पति है बहुत जो लेंगे तेरी अग्नि परीक्षा।
नहीं है, कृष्ण जैसे प्रेमी जो राधा के प्रति रखे समर्पण भाव।
जो कृष्ण से पहले राधा को दे सम्मान।
अब खुद ही उठा ले तू तलवार।।
नहीं है, द्रोपदी की लाज बचाने वाले सखा।।
इस युग की द्रोपदी को खुद ही बचानी है लाज अपनी।
नारी तेरा जीवन नहीं है आंसा उठा तू अब तलवार।
बन तू रानी लक्ष्मीबाई और दुर्गावती ।।
अस्त्र-शस्त्र कर तू धारणा अब हाथों में।
नारी तेरा जीवन नहीं है आंसा।
उठा ले तू अब तलवार।