“नारी तू कब तक देगी परीक्षा “
नारी तू कब तक देगी परीक्षा
सुनेगी, कब तलक सबकी इच्छा।
कर खुद, खुद ही की समीक्षा
दे कोख में ही, संतति को दीक्षा।।
ले प्रण,करेगी स्वयं ही संरक्षण
भक्षक का अपने तू,कर ले भक्षण।
कर दृढ़ निश्चय,न माँगेंगी भिक्षा
नारी तू कब तक देगी परीक्षा।।
“अबला” तुझको जो बोले तक्षण।
रखे तुझ पर, निकृष्ट जो लक्षण।।
बन दुरुस्त, दे स्वयं को शिक्षा।
नारी तू कब तक देगी परीक्षा।।
रेखा “कमलेश”
होशंगाबाद, मप्र