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24 Nov 2021 · 1 min read

नारी तुम श्रद्धा स्वरूपा

नारी तुम श्रद्धा स्वरूपा,
तुम हो ममता का प्याला।

बेटी बनकर घर को महकाती,
घर की शान कहलाती।

बनकर प्यारी बहना भाई का,
हर पग पर साथ निभाती।

बहु रूपधर बन जाती लक्ष्मी,
घर में हरक्षण मुस्काती।

पत्नी के स्वरूप में,
जीवनसाथी पर प्यार लुटाती।

जब बन जाती माता तुम तो,
वात्सल्य रस बरसाती।

नारी तुम हो विभिन्न स्वरूपा,
हर मुसीबत से टकराती।

निकलती हो जब घर से तुम,
अपनी कीर्ति फैलाती।

वापस आते ही फिर तुम,
फर्ज से घर महकाती।”

कष्टित तन से भी तुम
स्नेह ही बरसाती।

नारी तुम हो श्रद्धा स्वरूपा, हर क्षण मुस्काती।

डॉ माधवी मिश्रा “शुचि”

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 204 Views
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