Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2021 · 2 min read

“नारी तुम केवल श्रद्धा हो”

*****************************
खोजा, तुम्हारे देह में सौन्दर्य ही जाता रहा है.
नासिका में नाद
ओठों पर मधुर मुस्कान कोमल.
ग्रीवा में सुराहीदार गर्दन.
कंठ में सातों सुरों की वेधशाला.
कपोलों पर लालिमा अरुणिम
चिबुक में योगशाला.
नयन में सागरों के लहर की बारंबारता भी.
पलकों के बरौनी के दोहरे ताल की भव्यता भी.
तुम्हारे केशराशि पर घनों की प्रतिच्छाया.
नितम्बों तक लहर खाती
बाल के बल की मोह-माया.
तितलियों से
कान के सुंदर स्वरूप की कल्पना में
भीगा मौन मेरा.
कंधे पर तुम्हारे जुल्फ लटके.
अधर में रस लबालब
और सब कुछ गौण सारे.
श्वास में बेली,चमेली सी महक हो
रात रजनीगन्धा की धमक हो.
दंत-पंक्ति पर लिखी हों
‘फिराक में रत’ फ़िराक की रुबाइयाँ.
अंगड़ाईयाँ लेते हुए
जाएँ उभर गोलाइयाँ.
उदर की वह तेरी गम्भीर नाभि
मापो तो न आए माप में वह.
कमर पतली,उदर अंदर
नितम्बों को लुभाने होड़ करते.
भुजाएँ हों कसे जैसे अखाड़े में पले हों.
हथेली मेंहदी को ललकारते हों
देखें की कितने तेज रंगों में घुले हो.
अंगुलियाँ जब हुए निर्मित
वीणा ध्यान में था
कूची प्राण में था
सृष्टिकर्ता के, लगे ऐसे.
कलाई गोल इतने
चूड़ियों के ‘साँच’ इनसे ले गये हों
लगे ऐसे.
फिसल जाये फिजाँ की चेतना
जब अंग का स्पर्श हो तेरे.
घुटनों से पिंडलियों तक
लगता वह रहे फेरे.
पाँव हों निर्मल ह्रस्व हों आघात
जैसे ‘भँवर’ ने पुष्प को
सौंपा कोई सौगात.
और मैं नर?
देता क्रोध अपना, भौंह टेढ़े
आलोचनाओं,लांछ्नाओं के अमिट सौगात.
कौन जाने मैं नहीं तो
किस तरह झेले इन्हें हैं मन तुम्हारे
मौन रहकर,रो-सुबक कर
आह भरकर
किस तरह झेले तुम्हीं ने
तुच्छता का वह बड़ा अहसास.
जिस भरोसे से दिया था हाथ अपना
टूटने के स्वर को कैसे
मुखर होने दिया न, रोक रक्खा.
जब तुम्हारे अहं को मेरे दंश ने
जीवित जलाया
तुम किसी भी चेतना से थी जली न
हर फफोलों को दबाया
हो के हक्का और बक्का.
हर तुम्हारे कर्म को कर्तव्य कहकर
अप्रशंसित कर रहा था
चुप लगाये साधना सा साधती तुम
दत्तचित थी.
हर तुम्हारे चाहतों को ठेलता बढ़ता गया था
सामर्थ्य का करके बहाना.
जिद्द तेरे, तुम पराजित कर दिए थे
विजेता का मुझे, संतोष देने
बस अखाड़े में चित्त हुई सी.
मृत हुई तुम
गिन सके न बार इतने,
बार-बार
जीवन की बारंबारता में.
मृत्यु जैसे दर्द मैंने ही दिए हैं.
और तुम इस मौत को
जीवन ही जैसा जी दिखाया
भग्न जीवन
जैसे कोई बारबार संवारता.
अपने पराजय को
तुम्हारा पराजय बताते-बताते
तुम्हारे साथ पराजित लड़ाके सा
किया व्यवहार.
तुम्हारे जय को बताना
अपने विजय का अभिसार.
साथिन सा तुम्हारा विचरण
मुझे स्मरण रहेगा.
हैं असंस्कृत समाज के संस्कार.
किस्से,कहानियों में
सोचता हूँ
अब सुधारों का सदा विवरण रहेगा.
++++++++++++++++++++++++++++

Language: Hindi
1 Like · 653 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रियतमा
प्रियतमा
Paras Nath Jha
"टमाटर" ऐसी चीज़ नहीं
*Author प्रणय प्रभात*
** मन मिलन **
** मन मिलन **
surenderpal vaidya
ऐसा नही था कि हम प्यारे नही थे
ऐसा नही था कि हम प्यारे नही थे
Dr Manju Saini
कभी-कभी
कभी-कभी
Sûrëkhâ
क़भी क़भी इंसान अपने अतीत से बाहर आ जाता है
क़भी क़भी इंसान अपने अतीत से बाहर आ जाता है
ruby kumari
छह घण्टे भी पढ़ नहीं,
छह घण्टे भी पढ़ नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
......मंजिल का रास्ता....
......मंजिल का रास्ता....
Naushaba Suriya
*जातक या संसार मा*
*जातक या संसार मा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरा शहर
मेरा शहर
विजय कुमार अग्रवाल
अमीर घरों की गरीब औरतें
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
देश प्रेम
देश प्रेम
Dr Parveen Thakur
चलो...
चलो...
Srishty Bansal
शेष न बचा
शेष न बचा
Er. Sanjay Shrivastava
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
तुझसे वास्ता था,है और रहेगा
Keshav kishor Kumar
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गीतांश....
गीतांश....
Yogini kajol Pathak
सबला
सबला
Rajesh
मैं बंजारा बन जाऊं
मैं बंजारा बन जाऊं
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Sushil Pandey
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
RATHOD SRAVAN WAS GREAT HONORED
RATHOD SRAVAN WAS GREAT HONORED
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
काश! मेरे पंख होते
काश! मेरे पंख होते
Adha Deshwal
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
Anil Mishra Prahari
2723.*पूर्णिका*
2723.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आया तीजो का त्यौहार
आया तीजो का त्यौहार
Ram Krishan Rastogi
*चांद नहीं मेरा महबूब*
*चांद नहीं मेरा महबूब*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
“ ......... क्यूँ सताते हो ?”
“ ......... क्यूँ सताते हो ?”
DrLakshman Jha Parimal
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री
Kavita Chouhan
दरोगा तेरा पेट
दरोगा तेरा पेट
Satish Srijan
Loading...