नारी (घनाक्षरी)
उसे अब न सताओ, और अब न रुलाओ,
बताओ न कमजोर, अबला न कहिये।।
जाग गई है ये नारी, अब नारी न बेचारी।
दुनिया की गाड़ी के दो, नर-नारी पहिये।।
पढ़-लिख ज्ञान पाती, काम करती कमाती,
सीमा में भी कम नहीं, नारी को समझिये।।
चली मिला के कदम, तोड़ दुनिया के भ्रम,
छल न करो ‘कौशल’, मान सदा रखिये।।