नारी के हर रूप को
इस तरह इस फ़र्ज़ को
अंजाम दीजिएगा।
नारी के हर रूप को
सम्मान दीजिएगा ।।
तुमसे नहीं, उससे
अस्तित्व है तुम्हारा ।
हृदय से इस सत्य को
स्वीकार लीजिएगा ।।
जो अंजाम देखना हो,
तो इतिहास देखिएगा
भूल कर भी नारी का न
अपमान कीजिएगा ।।
खुल कर अभिव्यक्त वह
खुद को कर सके ।
संकीर्णता से मुक्त उसे
संसार दीजिएगा ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद