नारी के दोहे
नारी है नारायणी,नारी है अनमोल।
नारी ही मा,गुरु है वोले मीठे बोल।।
नारी ही तो प्रकृति नारी है संसार।
नारी ही सहपाठिका नारी है भरतार।।
नारी है माँ कालिका,जिसके लम्वे केश
पाप हरण मंगल करण बदले कई कई भेष।।
नारी सीता अन्सुईया,जिसकी कथा निराल।
रानी झांसी की रानी,रूप धरे विकराल।।
नारी मे जो शक्ति है जिसका थाव न पार।
वही संभाले श्रष्टि को करता भव से पार।।
कृष्णकांत गुर्जर