नारी की स्वतंत्रता
नारी गुलाम है
पुरुष की ,
जाने कितने ही युगों से ।
उसके हाथ में दिखने वाली चूडिय़ां
वास्तव में हैं हथकड़ियाँ।
और पैरों की पायल
उसकी बेड़ियाँ हैं ।
सिंदूर और बिंदी
उसके सुहाग के प्रतीक नहीं, बल्कि
उसकी गुलामी के प्रतीक हैं ।
बुर्का और साड़ियां
उसके चलती- फिरती
कैदखाने है।
मैंने इन कैदखानों में नारियों को
तड़पते नहीं देखा
इसका कारण शायद ये कि —
लंबे अर्से से गुलामी सहन करना
उनकी आदत बन गया है ।
मैं प्रतीक्षा में हूँ कि कब
महिलाओं को अपनी हथकड़ी तोड़ने
और कैदखाने से भाग उठने के लिए
बेचैनी उत्पन्न होगी,
शायद उस दिन से महिलाएँ
स्वतंत्र होने लगेंगी ।
— सूर्या