नारी की महिमा
नारी की महिमा
है नारी की महिमा महान,
नारी सदगुण की महा खान।
नारी ने ही उत्पन्न किये,
गणपति, कान्हा, मारुति महान।
जीवन भी नारी से पाया,
उसने ही पाला पोसा है।
उसके आंचल के अमृत पर।
इस जग को बड़ा भरोसा है।
नारी बिन विश्वकोश आधा,
इतिहास अधूरा बिन उसके।
खुशियां स्फूर्ति वहीं होंगी,
जग् नाच रहा अंगुली जिसके।
मां, भगिनी, पत्नी पुत्री ही ,
पुरुषों को प्रेरित करती हैं।
साहस, बलिदान, प्रगति के हित,
उनको अग्रेषित करती हैं।
अनजानों को भी स्वजन बना,
निज पितृ गेह को छोड़ चले,
औरों का गेह बसा देती।
यह बेल कहीं उग कहीं फले।
पति गृह की वंशवेलि रक्षा,
उस पर ही आधारित है।
नई पीढ़ी की नैतिक शिक्षा,
उससे ही संस्कारित है।
जीवन रण में है ज्वाल बहुत,
नारी मधुमय रस की फुहार।
कंटकाकीर्ण जीवन पथ में,
नारी है बासंती बयार।
नारी है बासंती बयार।
इंदु पाराशर