!! नारी की महिमा !!
आँचल में दाग धरे भारी
जीवन भर त्याग करे नारी
मैं हाथ जोड़कर नमन करूँ
नारी की महिमा है न्यारी।
कवियों की कविताई हो
तुम तुलसी की चौपाई हो
खुसरो की ग़ज़ल तुम्ही से है
तुम गीत, छंद औ रुबाई हो।
तुम रणचंडी हो काली हो
तुम पूजा वाली थाली हो
सृष्टी की सुंदरतम रचना
तुम हर-घर की खुशहाली हो।
तुम सूरज की अरुणाई हो
तुम ही सुंदर अमराई हो
ये आबोहवा तुम्ही से है
तुम ही चंचल पुरवाई हो।
तुम हो तो परिवार यहॉं
तुमसे घर-संसार यहॉं
तुम दो कुल की मर्यादा हो
तुमसे घर का आधार यहॉं।
तुम ही प्रभु की प्रभुताई हो
तुम रिश्तों की गहराई हो
ये चाँद-सितारे तुम से है
तुम ही जग की सच्चाई हो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
पालघर, महाराष्ट्र