नयन कटीली कमिनी।
नयन कटीली कामिनी ,बड़े रसीले होंठ।
जो देखे बेसुध होय, मन मा जागे खोट।।
नयन कटीली कामिनी , कटि को कारो रंग।
प्रेम सबन से करत है , बैर ब्राम्हणों संग।।
नयन कटीली कामिनी, है मस्तानी चाल ।
सतरंगी तलवार है , बेरंगी है ढाल।।
नयन कटीली कामिनी,देख वक्ष उभार।
आपस मे मारत-मरत, ई सारा संसार।।
नयन कटीली कामिनी,जेसे करत मिलाप।
उन कय दर्द बड़ा होए,पर कर न सके अलाप।।
कहत धीरेन्द्र, सुन पुरखन बानी।
तजो कामिनी संग नाता , जो चाहो आपन जग पानी।।