— नारी का सम्मान –
हर घर में रहती है नारी
कभी कभी पड़ जाती बहुत भारी
कहते हैं लोग सब को , समाज में
भाई नारी का सामान करना रखो जारी
न जाने कौन से रूप में आ जाए बन दुर्गा
कभी सरस्वती , कभी रण चंडी सी नारी
ममता की मूर्त भी है, कभी हो जाती दुलारी
आ जाए अपनी पर तो पड़ जायेगी भारी
रखो संभाल के इस धरोहर को घर अपने
घर को नरक से स्वर्ग बनाती है यही नारी
अजीत कुमार तलवार
मेरठ