नारी का सम्मान
नारी का सम्मान करो,मत उसका अपमान करों,
किसी न किसी रूप मे तुमको मिल जाती है,
सुषमा स्वराज भी भारत बेटी थी,
अपने उसूलों मे वो बहुत पक्की थी,
माथे पर लगा स्वाभिमान की बिंदी,
अपनी मातृभाषा बोलती थी हिंदी,
उनका व्यक्तित्व था सबसे जुदा,
उस भारतीय नारी को करती हूं नमन,
रानी लक्ष्मीबाईं थी स्वाभिमानी,
अंग्रेजों के आगे कभी हार न मानी,
लड़ी लड़ाई जब तक तन मे जान,
सौंप दिया तन भारत मां को ,
रखी खुद की आन, बान ,शान,
ऐसी होती भारतीय नारी,
करती खुद पर स्वाभिमान,
अपने अस्तित्व को न छूने देती,
कर देती खुद को कुरबान,
नहीं झुकती अंत समय तक,
खुपर करती है वो स्वाभिमान।
दीपाली कालरा